प्रगति ,आर्थिक संवृद्धि और आर्थिक विकास क्या है ? जानिए हमारे अर्थव्यवस्था के लिए इतने महत्वपूर्ण क्यों है

व्यवहारिक जीवन में मनुष्य अपने जीवन के बेहतर कल को सामान्यतः प्रगति , संवृद्धि और विकास जैसे शब्दों से जोड़ता है। जबकि हमारे अर्थव्यवस्था में प्रगति ,आर्थिक संवृद्धि और आर्थिक विकास इन शब्दों का अलग अलग अर्थ निकलता है अर्थात जैसे -जैसे अर्थशास्त्रियों ने इंसानी गतिविधियों का अध्ययन शुरू किया वैसे -वैसे इन शब्दों को लेकर अलग अलग विचारधारायें बनती गयी।

प्रगति ,आर्थिक संवृद्धि और आर्थिक विकास क्या है?

प्रगति (Progress) का अर्थ

प्रगति अर्थशास्त्र की कोई विशेष अवधारणा नहीं है, लेकिन विशेषज्ञ इसका इस्तेमाल बेहतरी और किसी चीज में बढ़ोतरी के लिए करते हैं। आम लोगों के जीवन और अर्थव्यवस्था में लंबे समय तक चलने वाले साकारात्मक बदलाव को अर्थव्यवस्था में प्रगति कहते हैं।

इसके गुणात्मक और संख्यात्मक दोनों पक्ष में हैं। कुछ समय के बाद, कुछ अर्थशास्त्री प्रोग्रेस (प्रगति), ग्रोथ (वृद्धि) और डेवलपमेंट (विकास) का इस्तेमाल एक ही चीज के लिए करते हैं। तीनों शब्द एक-दूसरे की जगह इस्तेमाल हो सकते हैं।

लेकिन 1960, 1970 और 1980 के दशक में इन शब्दों के मायने अलग-अलग स्पष्ट हुए।’ इसमें प्रगति एक सामान्य पद है, जिसका अर्थशास्त्र में कोई मायने नहीं है, लेकिन इसका इस्तेमाल वृद्धि और विकास को संयुक्त तौर पर संबोधित करने के लिए करते हैं। लेकिन वृद्धि और विकास के अपने अपने स्पष्ट अर्थ होते हैं।

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आर्थिक संवृद्धि (Economic Growth)

“Growth शब्द का इस्तेमाल सामान्यतः वृद्धि के लिए किया जाता है जैसे जीव विज्ञान में जीवो के बढ़ने की प्रवृति को Growth of organisms कहते है। हालाँकि की अर्थव्यवस्था में इसका मतलब आर्थिक संवृद्धि (Economic Growth) से है, जो किसी व्यक्ति ,किसी अर्थव्यवस्था या दुनिया के सन्दर्भ में इस्तेमाल किया जा सकता है।

आर्थिक संवृद्धि (Economic Growth) या आर्थिक वृद्धि का सबसे मुख्य विशेषता इसकी मात्रात्मक प्रवृति होती है। आइये पहले आर्थिक संवृद्धि की गुणात्मक प्रवृति को समझने की कोशिश करते है।

आर्थिक संवृद्धि की मात्रात्मक प्रगति

आर्थिक संवृद्धि की मात्रात्मक प्रवृति का अर्थ आर्थिक संवृद्धि में आंकिक रूप से वृद्धि है, इसको कुछ उदहारण से समझने की कोशिश करते है।

जैसे किसी दुग्ध उत्पादन कम्पनी में यदि दुग्ध उत्पादन में वृद्धि होती है तो इस वृद्धि का मापन लीटर में किया जायेगा। इसको और गहराई से समझने का प्रयास करते है –

मान लीजिये दुग्ध उत्पादन कम्पनी में दुग्ध उत्पादन 100 लीटर से बढ़कर 140 लीटर का हुआ। अब इस स्थिति में दुग्ध उत्पादन कम्पनी की आर्थिक संवृद्धि 40 लीटर का हुआ, जिसमे 40 लीटर आर्थिक संवृद्धि की मात्रात्मक प्रवृति को दर्शाता है।

ठीक इसी प्रकार किसी अर्थव्यवस्था में हुई वृद्धि का आंकलन उस अर्थव्यवस्था के कुल उत्पादन के मूल्य (GDP) से लगता जाता है।

आर्थिक संवृद्धि दर का मापन

अर्थव्यवस्था में आर्थिक संवृद्धि दर का मापन प्रतिशत में किया जाता है इसको भी ऊपर दिए गए उदाहरण से समझते है मान लिए दुग्ध उत्पादन कम्पनी में दुग्ध उत्पादन 100 लीटर से बढ़कर 105 लीटर हो गया अब ऐसी स्थिति में आर्थिक संवृद्धि दर 5 % का हो गया।

आर्थिक विकास (Economic Development)

1950 के दशक में आर्थिक संवृद्धि और आर्थिक विकास दोनों शब्द एक दूसरे से समानार्थी थे। हालाँकि उस वक्त दोनों शब्दों में अन्तर को अर्थशास्त्री पहचानते थे। लेकिन 1960 और उसके बाद के दशकों में यह देखा गया की देश की आर्थिक संवृद्धि तो बढ़ रही है लेकिन लोगो के जीवन स्तर में कोई बदलाव नहीं था। अब यहाँ से आर्थिक विकास (Economic Development) को परिभाषित किया गया।

आर्थिक विकास की अवधारणा

अर्थशास्त्रियों के अनुसार आर्थिक संवृद्धि में वृद्धि सिर्फ अर्थव्यवस्था में हुये उत्पादन की वृद्धि को दर्शाता है, जबकि आर्थिक विकास का असर लोगो के जीवन के गुणवत्ता पर भी पढ़ता है अतः हम कह सकते है आर्थिक विकास की प्रगति मात्रात्मक और गुणात्मक दोनो होता है।

आर्थिक विकास की प्रगति मात्रात्मक और गुणात्मक होने का अर्थ हुआ जब हम अर्तव्यवस्था में वृद्धि शब्द का इस्तेमाल करते है तो मतलब की मात्रात्मक प्रगति हो रही है जबकि हम विकास की बात करते है तो मात्रात्मक(उत्पादन की माप ) के साथ साथ गुणात्मक (जिसपर जीवन की गुणवत्ता निर्भर होती है ) भी होता है।

आर्थिक विकास की अवधारणा में कुछ चीज़ो को समाहित किया गया है ,आम जनमानस तक खाने की सुविधा , स्वास्थ की सुविधा , समावेशी शिक्षा की सुविधा और वो सभी पहलू समाहित किया गया है जिसपर जीवन की गुणवत्ता निर्भर है।

आर्थिक विकास की अवधारणा ऊपर दिए गए सभी पहलुओ (रोटी ,कपड़ा ,मकान और स्वास्थ्य और शिक्षा ) के अलावा न्यूनतम आमदनी को भी समाहित करता है। जवकी आमदनी का सम्बन्ध उत्पादक गतिविधियों से होता है और उत्पादक गतिविधियों का सम्बन्ध आर्थिक संवृद्धि से होता है।

अतः इस प्रकार-” अर्थव्यवस्था में आर्थिक विकास की पहुंच के लिए पहले आर्थिक संवृद्धि की पहुंच जरुरी है अतः हम कह सकते है अर्थव्यवस्था में उच्च आर्थिक विकास उच्च आर्थिक वृद्धि की मांग करता है

आर्थिक विकास का मापन

महबूब -उल -हक एक प्रसिद्ध पाकिस्तानी अर्थशास्त्री ने 1970 के दशक में ही आर्थिक विकास के मापन का कार्य शुरू कर दिया था जो अंततः 1990 में अपनी पहली मानव विकास सूचकांक को इंगे कौल के साथ विकसित किया।

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