मुद्रास्फीति और अपस्फीति क्या है ?

मुद्रास्फीति और अपस्फीति अर्थव्यवस्था के प्रमुख घटको में से एक हैं। मुद्रास्फीति और अपस्फीति जिसको English में Inflation और Deflation कहते है। अर्थव्यस्था में किसी देश के लिए मुद्रास्फीति और अपस्फीति का विशेष योगदान होता है।

आज इस लेख के माध्यम से मुद्रास्फीति और अपस्फीति क्या होता है ,और मुद्रास्फीति और अपस्फीति किसी देश की अर्थव्यस्था के लिए कितना विशेष होता है ,तमाम बिन्दुओ पर चर्चा किया जायेगा।

मुद्रास्फीति (Inflation)

मुद्रास्फीति जिसको सामान्य शब्दों में महंगाई कहते है , यह महंगाई अर्थव्यस्था में वस्तुओ के कीमतों में सतत बृद्धि को दर्शाता है। अर्थात अगर अर्थव्यस्था में सभी वस्तुओ के दाम में सतत बृद्धि हो रही है तो इसको महंगाई या मुद्रास्फीति कह सकते है।

अर्थव्यवस्था में उत्पादन को मुद्रास्फीति (Inflation) के अनुसार अनुकूल करना होता है उत्पाद का मूल्य , मुद्रास्फीति के बढ़ जाने से बढ़ जाता है। अतः सामान्य अवधारणा के अनुसार मुद्रास्फीति अर्थव्यवस्था की वह स्थिति होती है जिसमे वस्तुओ और सेवाओ की कीमते बढ़ जाती है। लेकिन अर्थव्यस्था में किसी विशेष वस्तु की कीमत बढ़ जाने से मुद्रास्फीति नहीं होता है।

मुद्रास्फीति को समझने का एक तरीका यह है कि, उदाहरण के लिए, आपने पिछले महीने 1,000 रुपये के खर्च पर घरेलू आवश्यक वस्तुओं की एक सूची बनाई। लेकिन इस महीने उसी सूची में एक निश्चित खाद्य पदार्थ की कीमत बढ़ गई है और इससे वृद्धि हुई है।

मान लीजिए किअब लागत 1,100 रुपये है। आपको या तो अपने सूची से कोई आइटम हटाने के लिए मजबूर किया जा सकता है या अतिरिक्त भुगतान करके उस उत्पाद को खरीदने के लिए मजबूर किया जा सकता है जिसकी बढ़ी हुई कीमत है, जो आपके मासिक-निर्धारित बजट को प्रभावित कर सकता है ।

इसलिए, कोई भी कारक जिसके कारण बाजार में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें बढ़ती हैं और उपभोग में अस्थिरता पैदा होती है, मुद्रास्फीति की ओर ले जाती है।

मुद्रास्फीति (महंगाई ) दर का मापन / Inflation Rate

मुद्रास्फीति दर या महंगाई दर सामान्यतः वस्तुओ और सेवाओ की कीमत में तेजी से होने वाले बदलाव को दर्शाता है। इसके लिए आधार वर्ष (Base year ) को 100 मान कर चालू वर्ष (current-year) से तुलना करते है और तुलना के आधार पर मुद्रास्फीति दर का आंकलन करते है। इसको एक सूत्र के द्वारा मापन करते है –

मान लीजिये कोई वस्तु जिसकी विशेष वर्ष (आधार वर्ष ) में प्रारम्भिक कीमत A और उसी वस्तु का चालू वर्ष( Current year) में अंतिम कीमत B हो जाये तब मुद्रास्फीति दर (%)-

मुद्रास्फीति~ दर =\frac {B-A }{A }\times 100 

“सरकार द्वारा मुद्रास्फीति दर का स्तर (4+,-2) % तय किया गया है। अर्थात न्यूनतम 2 % और अधिकतम 6 % इसका मतलब मुद्रास्फीति दर 2% और 6% के बीच में होना चाहिए “

भारत में मुद्रास्फीति को मापने के लिए दो सूचकांकों का उपयोग किया जाता है – उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI ) और थोक मूल्य सूचकांक (WPI)। ये दोनों वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में परिवर्तन की गणना के लिए विभिन्न दृष्टिकोणों को ध्यान में रखते हुए मासिक आधार पर मुद्रास्फीति को मापते हैं। यह अध्ययन सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को बाजार में मूल्य परिवर्तन को समझने में मदद करता है और इस प्रकार मुद्रास्फीति पर नजर रखता है।

CPI, जो उपभोक्ता मूल्य सूचकांक को संदर्भित करता है, 260 वस्तुओं में अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं की खुदरा मुद्रास्फीति का विश्लेषण करता है। CPI-आधारित खुदरा मुद्रास्फीति उन कीमतों में बदलाव पर विचार करती है जिन पर उपभोक्ता सामान खरीदते हैं। डेटा सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय और श्रम मंत्रालय द्वारा अलग-अलग एकत्र किया जाता है।

WPI, जो थोक मूल्य सूचकांक को संदर्भित करता है, 697 वस्तुओं में केवल वस्तुओं की मुद्रास्फीति का विश्लेषण करता है। WPI-आधारित थोक मुद्रास्फीति उन कीमतों में बदलाव पर विचार करती है जिस पर उपभोक्ता थोक मूल्य पर या कारखाने, मंडियों आदि से थोक में सामान खरीदते हैं।

मुद्रास्फीति (Inflation) का कारण

मुद्रास्फीति (महंगाई ) का कारण मुख्यतः दो होता है जिसमे पहला कारण वस्तुओ और सेवाओं की मांग सामान्य स्तर से ज्यादा हो जाये और आपूर्ति कम। जबकि दूसरा वस्तुओ और सेवाओं के उत्पादन के दौरान ,कच्चे मटेरियल ,मजदूरी, परिवहन इत्यादि के मूल्यों में बृद्धि के कारण मंगाई बढ़ जाती है।

मुद्रास्फीति (महंगाई ) को नियंत्रण करने का उपाय

मुद्रास्फीति (महंगाई ) को नियंत्रण करने के लिए सरकार द्वारा कुछ कदम उठाये जाते है जैसे-

  • अगर महंगाई मांग के बढ़ने और आपूर्ति के कम होने के वजह से हो रहा है तो सरकार आपूर्ति पक्ष को मजबूत करता है। इसके लिए सरकार दो तरीका अपनाता है जिसमे पहला तरीका वस्तुओ और सेवाओ का आयात करता है यह तरीका महंगाई को अल्प समय के लिए नियंत्रित करती है। जबकि दूसरा तरीका वस्तुओ का स्वम उत्पादन होता है जो महंगाई को दीर्घ समय के लिए नियंत्रित करता है।
  • अगर महंगाई वस्तुओ और सेवाओं के उत्पादन लागत में बृद्धि के कारण है तो सरकार इसके लिए उत्पाद शुल्क को कम करके महंगाई को नियंत्रित करता है।
  • सरकार अब मौद्रिक उपायों (CRR,SLR,REPO RATE etc) का उपयोग कर महंगाई को कम करता है।

अपस्फीति (Deflation)

अपस्फीति (Deflation) जिसको अर्थव्यस्था में मंदी के नाम से जाना जाता है, अर्थव्यस्था में मंदी का तात्पर्य वस्तुओ और सेवाओं के कीमतों में गिरावट से होता है। अर्थात अपस्फीति (Deflation) , मुद्रास्फीति (Inflation) की विपरीत स्थिति को दर्शाता है। परन्तु वर्तमान में सरकार अपस्फीति यानि मंदी को कीमतों में गिरावट के रूप में उपयोग नहीं करती है।

अपस्फीति (Deflation) को वर्तमान में सरकार राष्ट्रीय आय और उत्पादकता के स्तर में कमी के रूप में देखता है। सामान्यतः कीमतों के स्तर में जो गिरावट होती है,सरकार जानबूझकर लाती है जिससे महंगाई को कम करके ,आयात की मांग को कम करके भुगतान (BOP )को संतुलित कर सके।

निष्कर्ष

मुद्रास्फीति और अपस्फीति जिसको सामान्य भाषा में महंगाई और मंदी कहते है ,जो देश की अर्थव्यस्था के लिए अच्छे और बुरे होते है। जब अर्थव्यस्था में सभी वस्तुओ और सेवाओ की कीमतों में सामान्य स्तर से लगातार बृद्धि होने लगती है तो इसे महंगाई से इंगित करते है जबकि वस्तुओ की कीमतों में यदि सामान्य स्तर से निचे गिरावट दर्ज होती है तो इसे मन्दी से इंगित करते है।

FAQs

Q.1 मुद्रास्फीति को कैसे मापा जाता है?

मुद्रास्फीति का सबसे प्रसिद्ध संकेतक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) है, जो घरों द्वारा उपभोग की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं की कीमत में प्रतिशत परिवर्तन को मापता है।

Q.2 वर्तमान में मुद्रास्फीति कितनी है ?

जनवरी 2024 में CPI में 5.69 % बढ़ी।

Q.3 मुद्रास्फीति का मापन कौन करता है?

भारत में, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय मुद्रास्फीति को मापता है। भारत में, मुद्रास्फीति को मुख्य रूप से दो मुख्य सूचकांकों – WPI (थोक मूल्य सूचकांक) और CPI (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) द्वारा मापा जाता है, जो क्रमशः थोक और खुदरा स्तर के मूल्य परिवर्तनों को मापते हैं।

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