राष्ट्रीय आपातकाल क्या होता है-जानिए 1975 में किस आधार पर की गयी थी आपातकाल घोषणा

संविधान के भाग-18 में अनुच्छेद 352 से लेकर 360 आपातकाल को परिभाषित किया गया है। हालाँकि संविधान में आपातकाल का अपना एक विशेष महत्त्व होता है ,तो आज के इस लेख में हम लोग “राष्ट्रीय आपातकाल क्या होता है ” को जानेंगे साथ ही साथ भारत में कितनी बार राष्ट्रीय आपातकाल लागू हुआ है इसपे भी चर्चा किया जायेगा।

आपातकाल का अर्थ

सामान्य स्थिति में राज्य और केंद्र दोनो का अपना अपना अधिकार क्षेत्र होता है ,लेकिन आपातकाल में शक्तियों का स्थानान्तरण होकर सम्पूर्ण शक्ति केंद्र के हाथ में चला जाता है अर्थात सभी राज्य केंद्र के अधीन हो जाते है।

डा. भीम राव अम्बेडकर ने संविधान सभा में कहा था भारत का संविधान अपने आप में अद्वितीय है क्योकि परिस्थितियों के अनुसार ये अपने संघीय स्वरुप को बदलकर एकात्मक रूप धारण कर लेता है जो अमेरिका से बिल्कुल अलग बनाता है।

अतः आपातकाल का अर्थ शक्तियों का राज्यों से केंद्र के तरफ स्थानान्तरण , केंद्र का राज्यों पर वर्चस्व , मौलिक अधिकारो का संकुचन होता है।

अब सवाल यह उठता है की आखिर आपातकाल की स्थिति कब आती है , देखिये आपातकाल की स्थिति युद्ध ,वाह्य आक्रमण और सेना विद्रोह,संविधान की विफलता और भारत की वित्तीय स्थायित्व पर खतरे के कारण लागू होता है।

आपातकाल के प्रकार

यहा ध्यान देने वाली बात है की संविधान में सीधे तौर पर कही भी राष्ट्रीय आपातकाल शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है। युद्ध ,वाह्य आक्रमण और सेना विद्रोह,संविधान की विफलता और भारत की वित्तीय स्थायित्व पर खतरे के आधार पर आपातकाल को तीन प्रकार से दिखाया गया है।

  • राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद-352)
  • राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद-356)
  • वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद-360)

राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद-352)

यदि भारत या इसके किसी भाग को युद्ध (गृह युद्ध) , बाहरी आक्रमण अथवा सेना विद्रोह के कारण खतरा बनता है। संविधान में इस प्रकार के आपातकाल को ” आपातकाल की घोषणा ” शब्द से वक्य किया जाता है। यह घोषणा संविधान के अनुच्छेद-352 के तहत दिया जाता है।

राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कौन करता है ?

अब दिमाग में प्रश्न ये उठता होगा की राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कौन करता है ? यहा भी ध्यान देना होगा, हमारे संविधान में राष्ट्रपति का स्थान सर्वोच्च है। जब देश की एकता,अखंडता और सम्प्रभुतता की बात होती है तो सभी काम राष्ट्रपति के नाम और निर्देश से चलता है। अतः राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कौन करता है राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है।

राष्ट्रीय आपातकाल के प्रकार

राष्ट्रीय आपातकाल के प्रकार दो प्रकार होते है , युद्ध और बाहरी आक्रमण के कारण जो आपातकाल की घोषणा की जाती है उसे बाह्य आपातकाल और जब आपातकाल की घोषणा सेना विद्रोह के कारण होता है तो इसको आंतरिक आपातकाल कहा जाता है।

यहा ध्यान देना जरुरी है राष्ट्रीय आपातकाल सम्पूर्ण देश या किसी भाग पर लागू हो सकता है। लेकिन 42वे संविधान संसोधन 1976 के द्वारा राष्ट्रीय आपातकाल भारत के किसी विशेष भाग पर लागू हो सकता है।

अब हम देश में सबसे चर्चित घटना के बारे में जिक्र करेंगे जो संविधान में संसोधन करने पर मजबूर किया। यह घटना 1975 की है उस वक्त इंदिरा गाँधी की सरकार थी और उस वक्त उन्होंने मंत्रिमंडल से बिना बात-चीत किये राष्ट्रपति को राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करने की सलाह दी , हालाँकि राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा से पहले मंत्रिमंडल से सहमति अनिवार्य होता है।और इस घटना के बारे में जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा की उन्होंने यह निर्णय आंतरिक गड़बड़ी के कारण लिया गया है।

अब प्रश्न ये उठता है की आंतरिक गड़बड़ी क्या है , देखिये ऊपर अभी हम लोगो ने पढ़ा की राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा युद्ध (गृह युद्ध) , बाहरी आक्रमण अथवा सेना विद्रोह के कारण होता है ,यहा 1978 से पहले संविधान में सेना विद्रोह के जगह आंतरिक गड़बड़ी था।

1975 में पहली बार जब आंतरिक गड़बड़ी को आधार बनाकर राष्ट्रीय आपातकाल लागू किया गया तब शब्द आंतरिक गड़बड़ी पर विचार किया गया और पाया गया की इस शब्द में स्पष्टता नहीं है और इस शब्द का अनुमान काफी विस्तृत है इस लिए संविधान में 44 वा संसोधन किया गया जिसको 44 वे संविधान संसोधन-1978 के नाम से जाना जाता है और इस 44 वे संविधान संसोधन-1978 के द्वारा आंतरिक गड़बड़ी के जगह सेना विद्रोह शब्द का इस्तेमाल किया जाने लगा।

44 वे संविधान संसोधन-1978 के द्वारा एक और परिवर्तन किया गया राष्ट्रीय आपातकाल न्यायिक समीक्षा योग्य बनाया गया और सुप्रीम कोर्ट ने कहा यदि राष्ट्रीय आपातकाल विवेकहीनता ,अपने लाभ ,या अपने हठ के कारण किया गया हो तो निश्चित ही उसको न्यायलय में चनौती दी जा सकती है।

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राष्ट्रीय आपातकाल लागू करने के लिए संसदीय प्रक्रिया

राष्ट्रीय आपातकाल लागू करने के लिए संसदीय प्रक्रिया काफी जटिल होती है। इसको समझने का प्रयास करते है जब राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर देता है तो सबसे पहला और अहम् कार्य 1महीने के अंदर संसद में Approval आवश्यक है।

अब यहाँ से अलग अलग स्थिति उत्पन होती है – पहली स्थिति के अनुसार यदि लोक सभा का विघटन हो गया हो तब लोक सभा के पुनः गठन के बाद पहली बैठक से 30 दिन तक जारी रहेगा जबकि ऐसी बीच राजयसभा में इसका Approval मिल गया हो।

दूसरी स्थिति के अनुसार यदि संसद के दोनों सदनों से इसका Approval मिल गया हो तब यह राष्ट्रीय आपातकाल 6 महीने तक जारी होगा और प्रत्येक 6 महीने में संसद के Approval से अनंतकाल तक बढ़ाया जा सकता है।

तीसरी स्थिति के अनुसार यदि लोक सभा का विघटन 6 महीने के समय में राष्ट्रीय आपातकाल को Approval दिए बिना हो जाये तो लोक सभा के पुनः गठन के पहली बैठक के 30 दिनों तक जारी होगा जबकि राज्य सभा जारी रहने का Approval दिया हो।

राष्ट्रीय आपातकाल लागू करने के लिए संसद में कितनी बहुमत की आवश्यकता होती है ?

राष्ट्रीय आपातकाल लागू करने के लिए संसद के दोनों सदनों (लोक सभा और राज्य सभा) द्वारा विशेष बहुमत की आवश्यकता पढ़ती है।

अब विशेष बहुमत का क्या अर्थ हुआ इसको भी जान लिया जाये, यह इस स्थिति में विशेष बहुमत के अंतर्गत सदन में उपस्थित तथा मतदान करने वाले सदस्यों का 2/3 बहुमत और सदन के कुल सदस्यों का बहुमत (50%+) होता है।

राष्ट्रीय आपातकाल की समाप्ति

राष्ट्रीय आपातकाल की समाप्ति के संसदीय प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं पढ़ती इसको राष्ट्पति किसी भी समय दूसरी उद्घोषणा करके समाप्त कर सकता है।

जबकि राष्ट्रपति के पास दूसरा विकल्प भी है यदि लोक सभा राष्ट्रीय आपातकालके जारी रहने के Approval के प्रस्ताव को निरस्त कर दे।

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