क्या सच में प्रलय आने वाली है ? जानिए क्या है doomsday clock का मामला (2024 )?

घड़ी का काम मुख्यतः समय का निर्धारण करना होता है लेकिन जरा सोचिये कोई ऐसी घड़ी जो वैश्विक रूप से आने वाले खतरों को सूचित करे ,जो यह बताने की कोशिश करे की ब्रम्हाण्ड पर तबाही आने वाला है जो आपको बार बार चेतावनी दे की ब्रम्हाण्ड नष्ट होने में सिर्फ 90 सेकंड का समय बचा है ,आप सोच कर हैरान रह जायेंगे ये कैसे संभव हो सकता है।

जी हाँ वैज्ञानिको के पास ऐसी ही एक घड़ी है जो वैश्विक खतरों को सूचित करता है ,जो चेतावनी देता है की ब्रम्हाण्ड नष्ट होने वाला है ,उस घड़ी का नाम doomsday clock है। आइये पहले doomsday clock के इतिहास को जानते है-

Doomsday clock का इतिहास

Doomsday clock का इतिहास पीछे हुए प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध से जुड़ा हुआ है। अमेरिका ने 6 अगस्त 1945 को सुबह के करीब आठ बजे हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया। बम गिरने की जगह के 29 किलोमीटर क्षेत्र में काली बारिश हुई और लगगभग 80 हजार से ज्यादा लोग मारे गए और इसके तीन दिन बाद 09 अगस्त को अमेरिका ने एक और परमाणु बम नागासाकी पर गिराया।

इस विनाशकारी युद्ध में लाखो लोग मारे गए इससे वैज्ञानिक चिंतित हो गए उनको भविष्य मे परमाणु हथियार का विनाशकारी भविष्य दिखने लगा ,वैज्ञानिको को यह महसूस होने लगा की पूरा ब्रम्हाण्ड जीवन के अंतिम छोर पर जा खड़ा होगा अगर इनको रोका नहीं गया तो। और यही से Doomsday clock की नीव पड़ती है जो वैज्ञानिको द्वारा बनाया गया एक खतरा सूचक घड़ी है जो परमाणु हथियारों के उपयोग की सिमा ,और उनके विनाशकारी परिणामो को बताता है।

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Doomsday clock को 1947 में बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स परमाणु बम बनाने वाले जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर और उनके साथी अमेरिकी वैज्ञानिकों ने बनाया था। Doomsday clock का निर्माण विनाशकारी घटनाओं के प्रति दुनिया को सचेत करने के रूप में हुई थी, विशेष रूप से परमाणु विनाश के खतरे पर ध्यान केंद्रित करते हुए।

Doomsday clock  का इतिहास
Doomsday clock का इतिहास

सबसे पहले यह जान लेना जरुरी है की Doomsday clock काम कैसे करता है देखिये Doomsday clock मे शुरुआती समय 12 बजे का लिया जाता है ,इसको कुछ इस प्रकार समझते है मान लीजिये कोई घटना घटने से पहले Doomsday clock की सुई को 12 बजे से पहले जितने समय के लिए सेट किया जायेगा (जैसे 12 बजने में 2 मिनट ) ठीक 12 बजने पर (2 मिनट बाद) घटना घटित होगा।

अर्थात Doomsday clock में सुई 12 बजे से जितना दूर होगा दुनिया में उतनी ही शांति होगी और सुई जितना ही 12 बजे के करीब जायेगा दुनिया के लिए उतना ही खतरा होगा। इसके कुछ प्रमाण इस प्रकार है –

  • इस घड़ी का समय अब तक 25 बार बदला जा चुका है।
  • 1947 में जब यह बनाई गई तो इसमें आधी रात से पहले 7 मिनट का समय था।
  • 1949 में सोवियत ने न्यूक्लियर बम बनाया तो 3 मिनट बचे।
  • 1953 में अमेरिका ने हाइड्रोजन बम का टेस्ट किया, तब इस घड़ी में आधी रात से 2 मिनट बचे।
  • 1991 में शीत युद्ध की समाप्ति के बाद इसमें आधी रात से 17 मिनट बचे।
  • 1998 में भारत पाकिस्तान के न्यूक्लियर टेस्ट के बाद 9 मिनट बचे।
  • 2023 में यूक्रेन युद्ध के कारण घड़ी में आधी रात से 90 सेकंड बचे। अब भी वैज्ञानिकों के मुताबिक 90 सेकंड ही बचे हैं जो एक चिंता का विषय है।

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वर्तमान में क्या है समय ?

वर्तमान में Doomsday clock फिर से 90 सेकेंड पहले रोक दी गई है ये घड़ी बता रही है कि इंसान कब खत्म होंगे? पिछली साल भी यही हुआ था जब दो देशों की जंग और बढ़ते तापमान की वजह से इसके इसके समय में कोई अंतर नहीं आया है यानी इंसान पृथ्वी को लगातार बिगाड़ रहा है।

लगातार दूसरे साल प्रलय की घड़ी (The Doomsday Clock) को आधी रात से 90 सेकेंड पर सेट किया गया है। जैसे ही इस घड़ी में 12 बजेगा, वैसे ही तय हो जाएगा कि कि धरती अब मनुष्यों के रहने लायक नहीं बची है इसे कयामत की घड़ी भी कहते हैं। यहीं से शुरू हो जाएगा इंसानों का सर्वनाश ,हर साल यह घड़ी यह तय करती है कि मानव जाति के प्राकृतिक, राजनीतिक, परमाणु जंग को रोकने के लिए कितना समय है।

 मंगलवार को 2024 की घोषणा में बुलेटिन ने कहा कि चीन, रूस और अमेरिका सभी अपने परमाणु शस्त्रागार का विस्तार या आधुनिकीकरण करने के लिए भारी रकम खर्च कर रहे हैं। गलती या गलत अनुमान के कारण परमाणु युद्ध का खतरा बढ़ गया है।

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