प्रकाश का प्रकीर्णन तरंगदैर्ध्य पर किस प्रकार निर्भर करता है?

प्रकाश का प्रकीर्णन तरंगदैर्ध्य पर किस प्रकार निर्भर करता है,इसको जानने से पहले प्रकाश का प्रकीर्णन क्या होता है ये जानना जरुरी हैं। तो आजके इस लेख में हम लोग प्रकाश का प्रकीर्णन की परिभाषा तथा रैले का प्रकाश के प्रकीर्णन सम्बंधित नियम को जानेंगे।

प्रकाश का प्रकीर्णन(Scattering of Light)

प्रकाश का प्रकीर्णन(Scattering of Light)

प्रकाश का प्रकीर्णन की परिभाषा इनको शब्दों में ही छिपी रहती हैं। प्रकीर्णन जिसका सामान्य और सरल अर्थ बिखरना होता हैं ,अर्थात प्रकाश का बिखरना ही प्रकाश का प्रकीर्णन(Scattering of Light) कहलाता हैं।

इसको सूर्य के प्रकाश से समझने की कोशिश करते हैं ,जब सूर्य की श्वेत प्रकाश वायुमंडल में प्रवेश करता है तो वायुमंडल में उपस्थित अशुद्धियों (धूल के कण ) पर श्वेत प्रकाश गिरता हैं, जिसके उपरांत श्वेत प्रकाश विभिन्न दिशाओ में विसरित हो जाता हैं प्रकाश के इस घटना को प्रकाश का प्रकीर्णन(Scattering of Light) कहते हैं।

प्रकाश का प्रकीर्णन(Scattering of Light) के पीछे का कारण वायुमंडल में उपस्थित धूल के कणो का दोलन होता हैं। अखिर धूल के कण दोलन कैसे करते हैं इसको समझने का प्रयास करते हैं देखिये सूर्य की किरणों में ऊर्जा होता हैं जब यही सूर्य की किरण किसी धूल के कण पर गिरता हैं तो धूल के कण ऊर्जा को ग्रहण कर लेते हैं इसके फलस्वरूप ये कण अवशोषित ऊर्जा को किसी अन्य दिशा में उत्सर्जन करने लगते हैं। जो प्रकाश का प्रकीर्णन(Scattering of Light) का कारण बनता हैं।

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रैले का प्रकाश के प्रकीर्णन सम्बंधित नियम

रैले के अनुसार -“प्रकीर्णन की मात्रा अर्थात बिखरे हुए प्रकाश की तीव्रता प्रकाश की तरंगदैध्य (λ),के चतुर्थ घात के व्युत्क्रमानुपाती होता हैं

मान लीजिये यदि आपतित प्रकाश का तरंगदैध्य (λ) तथा बिखरे हुए प्रकाश की तीव्रता (I) हैं तब-

I\propto \frac {1}{λ^ 4 }

इस सूत्र से यह निष्कर्ष निकलता है की जिस प्रकाश की तरंगदैर्ध्य अघिक होगा उस प्रकाश का प्रकीर्णन कम होगा जबकि जिस प्रकाश का प्रकाश की तरंगदैर्ध्य कम होगा उस प्रकाश का प्रकीर्णन अधिक होगा।

अतः इस प्रकार -“प्रकाश का प्रकीर्णन तरंगदैर्ध्य के चतुर्थ घात के व्युत्क्रमानुपाती के रूप में निर्भर करता हैं।”

प्रकाश का प्रकीर्णन से सम्बन्धित उदहारण –

(1) आकाश तथा समुन्द्र के जल का नीला दिखाई देना-जब सूर्य का प्रकाश वायुमण्डल में उपस्थित धूल के अतिसूक्ष्म कणों तथा विभिन्न गैसो के अणुओ पर आपतित होता है, तो रैले के अनुसार नीले रंग की किरणों का प्रकीर्णन सर्वाधिक (तरंगदैर्ध्य कम होने के कारण ) होता है।

वास्तव में बैंगनी तथा जामुनी रंग की तरंगदैध्यं ओर भी कम होने के कारण यह नीले रंग से भी अधिक प्रबलता से प्रकीर्णित होती है परन्तु हमारी आँखे बैंगनी तथा जामुनी रंग की अपेक्षा नीले रंग के लिए अधिक सुग्राही होती है।

इसलिए हमें आकाश तथा समुद्र का जल नीला दिखाई देता है। लाल रंग की किरणों का प्रकीर्णन न्यूनतम होता है तथा ये वायुमण्डल द्वारा अवशोषित कर ली जाती है।

(2) बदलो का सफ़ेद दिखाई देना-प्रकीर्णन की प्रक्रिया के लिए प्रकीर्णन का आकार (a), प्रकीर्णित प्रकाश की तरंगदैर्ध्य (λ) की तुलना में कम (a << λ) होना चाहिए, परन्तु वायुमण्डल में उपस्थित बड़े धूल के कण, बादलों में जल की बूँदों का आकार प्रकाश की तरंगदैर्ध्य (λ) की तुलना में बहुत अधिक (a >>λ) होता है। अतः ये कण प्रकाश के सभी रंगो की किरणों को लगभग समान रूप से प्रकीर्णित करते हैं। इसलिए हमें बादल श्वेत दिखाई देते हैं।

(3) सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य का लाल दिखाई देना -सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय सूर्य का लाल दिखाई देना भी प्रकाश के प्रकीर्णन प्रभाव के कारण होता है। सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय सूर्य से आती हुई प्रकाश किरणों को वायुमण्डल में अधिक मार्ग तय करना पड़ता है।

नीले रंग की किरणों का प्रकीर्णन अधिक मात्रा में होने के कारण ये किरणें आकाश में बिखर जाती है जबकि लाल रंग की किरणों की तरंगदैर्ध्य अधिक होने के कारण उनका प्रकीर्णन कम मात्रा में होता है, अतः प्रकाश का सबसे कम प्रकीर्णित भाग जो हमारी आँखों तक पहुँचता है रक्ताभ या लाल प्रतीत होता

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निष्कर्ष

रैले के अनुसार -“प्रकीर्णन की मात्रा अर्थात बिखरे हुए प्रकाश की तीव्रता प्रकाश की तरंगदैध्य (λ),के चतुर्थ घात के व्युत्क्रमानुपाती होता हैं” अर्थात प्रकाश का प्रकीर्णन ,तरंगदैर्ध्य के चतुर्थ घात के व्युत्क्रमानुपाती के रूप पर निर्भर करता हैं।

प्रकाश का प्रकीर्णन से सम्बंधित प्रश्न। FAQ

Q.1 प्रकाश का प्रकीर्णन क्यों होता है?

 जब प्रकाश वायुमंडल में प्रवेश करता है तो वायुमंडल में उपस्थित इन अशुद्धियों तथा धूल कण के द्वारा प्रकाश का अवशोषण कर उसे अन्य दिशाओं में विकिरित कर दिया जाता है।

Q.2 प्रकाश का प्रकीर्णन सबसे कम किसका होता है?

लाल रंग का प्रकीर्णन सबसे कम(क्योकि तरंगदैर्ध्य अधिक होने के कारण) और नीले रंग का प्रकीर्णन सबसे ज्यादा (क्योकि तरंगदैर्ध्य कम होने के कारण) होता है

Q.3 रैले का नियम क्या है?

प्रकीर्णन की मात्रा अर्थात बिखरे हुए प्रकाश की तीव्रता प्रकाश की तरंगदैध्य (λ),के चतुर्थ घात के व्युत्क्रमानुपाती होता हैं

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