गतिज ऊर्जा यांत्रिकी ऊर्जा का भाग होता हैं। गतिज ऊर्जा के नाम से ही ज्ञात होता हैं,किसी वस्तु में उसके गति के कारण उत्पन ऊर्जा को गतिज ऊर्जा कहते हैं। लेकिन यह जानना हमारे लिए बेहद जरुरी होता है की किसी वस्तु में गति के कारण ऊर्जा कैसे उत्पन होता हैं।
नमस्कार दोस्तों,गतिज ऊर्जा हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण भाग हैं जिसका हम अपने दैनिक जीवन में प्रतिदिन उपयोग करते हैं। तो आज इस पोस्ट के माध्यम से हम गतिज ऊर्जा का सम्पूर्ण विश्लेषण करेंगे और साथ ही साथ रेखीय संवेग के साथ गतिज ऊर्जा का सम्बन्ध भी स्थापित करेंगे।
गतिज ऊर्जा किसे कहते हैं- सम्पूर्ण विश्लेषण
देखिये गतिज ऊर्जा दो शब्दो से मिलकर बना हैं जिसमे पहला शब्द गतिज जिसका साधारण बोल-चाल में सरल और सहज मतलब चलना होता हैं। अब थोड़ा चलना शब्द को भौतिकी के अनुसार दर्शाने का प्रयास करते हैं। भौतिकी के अनुसार चलना शब्द का सामान्य अर्थ अपने स्थिति में परिवर्तन करना होता हैं। जबकि विज्ञान के अनुसार स्थिति में परिवर्तन तभी संभव हैं जब वस्तु पर कोई बाहरी बल आरोपित हो।
इसी प्रकार गतिज ऊर्जा में दूसरा शब्द ऊर्जा हैं, हालांकि भौतिकी में ऊर्जा हमेशा कार्य के बराबर होता हैं। अतः अब इन दोनों शब्दों से निकले मतलबों को मिलाइये तो आप निश्चित ही पाएंगे की किसी वस्तु पर बाह्य बल आरोपित करके उसकी स्थिति में परिवर्तन के दौरान जो कार्य किया जायेगा वही उस वस्तु में गतिज ऊर्जा के रूप में संचित होगा। अतः “किसी वस्तु में उसकी गति के कारण उत्पन ऊर्जा को गतिज ऊर्जा कहते हैं इसको सामान्यतः K से व्यक्त करते हैं “
गतिज ऊर्जा के सूत्र का निगमन
मान लीजिये कोई वस्तु जिसका द्रव्यमान m जो किसी समतल पर रखी गयी है।जिसका प्रारम्भिक वेग(u=0 ) यही वस्तु पर कोई बाहरी बल(F) आरोपित किया जाये तो वस्तु अपने प्राम्भिक स्थिति के सापेक्ष s दुरी तक विस्थापित होती है जिसका अंतिम वेग(v ) हैं।
अतः गति के समीकरण से वस्तु में उत्पन त्वरण (a)-
v^2=u^2+2as
चुकी यहाँ प्रारंभिक वेग (u =0 ) हैं तब त्वरण (a)-
a=\frac{v^2}{2s}
न्यूटन के दूसरे नियम के अनुसार – आरोपित बाह्य बल (F)
F =m \times a =m \times \frac{v^2}{2s}
हम जानते हैं –
कार्य = बल x बल की दिशा में विस्थापन अतः –
W =(m \times \frac{v^2}{2s})\times s
सरल करने पर –
W =m \times \frac{v^2}{2}
भौतिकी के अनुसार किया गया कार्य ही ऊर्जा के रूप में संचित होता हैं –
K=W =\frac{1}{2}\times {mv ^ 2 }
गतिज ऊर्जा का मात्रक और विमीय सूत्र
मात्रक– गतिज ऊर्जा के सूत्र से ज्ञात होता है ,की गतिज ऊर्जा का मात्रक द्रव्यमान के मात्रक और वेग के मात्रक पर निर्भर करता हैं। अतः गतिज ऊर्जा का मात्रक-
\frac{kg~ ~ m^ 2 }{s ^ 2 } = 1 ~ Joule
विमीय सूत्र–
[ML^2T^{-2}]
गतिज ऊर्जा के उदहारण
- बंदूख से निकली गोली में गतिज ऊर्जा होती हैं।
- धनुष से निकले तीर में होती हैं।
- ग्राउंड पर खेलते फूटबाल में गतिज ऊर्जा।
- बाल का बैटपर गतिज ऊर्जा। इत्यादि
गतिज ऊर्जा और रेखीय संवेग के बीच सम्बन्ध
गतिज ऊर्जा और रेखीय संवेग के बीच सम्बन्ध स्थापित करने से पहले हम रेखीय संवेग को समझ लेते हैं। रेखीय संवेग-“द्रव्यमान और वेग के गुणनफल के बराबर होता हैं, इसको सामान्यतः P से व्यक्त करते हैं। “
अतः रेखीय संवेग-
P =mv --eq^ n (1)
परन्तु वस्तु की गतिक ऊर्जा-
K=\frac{1}{2}\times {mv ^ 2 }---eq^ n (2 )
समीकरण (2) के दाहिने तरफ अंश और हर m से गुणा करने पर –
K=\frac{1}{2m }\times {m^ 2 v ^ 2 }---eq^ n (3 )
समीकरण (1) और (3) से –
K=\frac{1}{2m }\times {P ^ 2 } ~~ क्योंकि ~ ~ P=mv
इस प्रकार गतिज ऊर्जा और रेखीय संवेग के बीच सम्बन्ध से यह ज्ञात होता है की किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा उसके संवेग पर निर्भर करता हैं। अर्थात वस्तु में रेखीय संवेग के बिना गतिज ऊर्जा संभव नहीं हैं।
गतिज ऊर्जा और रेखीय संवेग के बीच सम्बन्ध से प्राप्त स्थिति-
स्थिति-1 -यदि रेखीय संवेग (P) का मान नियत हो तब वस्तु में उत्पन गतिज ऊर्जा(K) वस्तु के द्रव्यमान (m) के व्युत्क्रमानुपाती होता हैं। अर्थात-
K\propto \frac {1 }{m }
स्थिति-2 यदि वस्तु में उत्पन गतिज ऊर्जा(K) का मान नियत हो तब –
P \propto\sqrt {m }
स्थिति-3 यदि वस्तु का द्रव्यमान(m ) नियत हो तब –
P \propto\sqrt {K }
निष्कर्ष
ऊपर गतिज ऊर्जा के सम्पूर्ण विश्लेषण से पता चलता है की गतिज ऊर्जा सदैव गति के कारण ही उत्पन होता हैं। जबकि गति के लिए बाह्य बल की उपस्थिति अनिवार्य हैं। यह ध्यान देना जरुरी है की गतिज ऊर्जा हमारे यांत्रिक ऊर्जा का एक प्रकार हैं।