क्या वास्तव में यह दुनिया काल्पनिक हैं ?Simulation Hypothesis in Hindi(2024)

Simulation Hypothesis की कल्पना या विचार विज्ञान से लगाए हमारे दर्शन शास्त्र तक जुड़ा हुआ हैं। कई वैज्ञानिक इस बात पर जोर देते हैं की ये दुनिया एक काल्पनिक दुनिया यानि Simulation की दुनिया हैं।

महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग तक ने अपना विचार इसपे रखा था वो अक्सर कहते थे “हम किसी सिम्यूलेशन में जी रहे हैं.” यहाँ तक ही इस पर फिल्म जगत में एक फिल्म भी बनके तैयार हुई “द मैट्रिक्स फिल्म ” ये सभी दावे कितने सही है या कितने गलत यह भविष्य के गर्भ में छिपा एक रहस्य हैं।

नमस्कार दोस्तों आज इस पोस्ट में हम लोग Simulation Hypothesis के बारे में जानेंगे और इससे सम्बंधित हालिया Research को भी जानेंगे , तो इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़े।

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Simulation Hypothesis in Hindi

Simulation Hypothesis एक काल्पनिक विचार है जो बताता है कि हमारी वास्तविक दुनिया , जिसमें ब्रह्मांड और उसके भीतर की हर चीज़ शामिल है,computer-generated simulation हो सकती है। इस अवधारणा पर दार्शनिकों, वैज्ञानिकों और भविष्यवादियों द्वारा चर्चा और बहस की गई है।

इसका मूल आधार/सिद्धांत उन्नत सभ्यताएं (Advanced civilizations) जो मानव की चेतना में भविष्य के लिए उच्चतम और विकसित तकनिकी का प्रयोग अनिवार्य होगा वो सभी Simulation Hypothesis होंगे।

Simulation Hypothesis के बारे में उठाये जाने वाले प्रमुख बिंदु

(1) तकनीकी उन्नति (Technological Advancement)- इस तर्क से पता चलता है कि यदि कोई सभ्यता अपने तकनीकी विकास के उच्चतम स्तर तक पहुंच जाती है, तो वह इतनी निष्ठा के साथ वास्तविकता का अनुकरण कर सकती है कि उसके भीतर के अनुरूपित प्राणी अपनी अनुरूपित प्रकृति के प्रति सचेत और अनजान होंगे।

(2) Occam’s Razor-इसमें भी समर्थकों का तर्क है कि Simulation Hypothesis भौतिकी और दर्शन शास्त्र में कुछ अनसुलझे प्रश्नों के लिए एक सरल औ सुचारू व्याख्या करता है। यह संभावित रूप से भौतिक स्थिरांक की सूक्ष्मता, चेतना की प्रकृति और वास्तविकता की मौलिक प्रकृति की हमारी समझ की स्पष्ट सीमाओं जैसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार हो सकता है।

(3) Evidence and Testing-आलोचकों का तर्क है किSimulation Hypothesis में अनुभवजन्य साक्ष्य का अभाव है और यह वैज्ञानिक रूप से परीक्षण योग्य परिकल्पना के बजाय एक दार्शनिक या काल्पनिक विचार है। हालाँकि, समर्थकों का तर्क है कि जैसे-जैसे हम स्वयं अधिक उन्नत सिमुलेशन विकसित करते हैं, खामियों की सीमाओं का पता लगाना संभव हो सकता है जो यह संकेत दे सकते हैं कि हम एक सिमुलेशन में हैं।

क्या हम सभी किसी सिम्यूलेशन ( काल्पनिक दुनिया ) में जी रहे हैं हम, कई वैज्ञानिक क्यों मानते हैं ऐसा?

हाल के कुछ सालों में एक Simulation Hypothesis की अवधारण ने वैज्ञानिकों, दार्शनिकों और आमलोगों का ध्यान खींचा हुआ है. इसमें सब बताया गया है कि जो भी हम वास्तविकता समझ रहें हैं, वह एक “computer-generated simulation” हो सकता है।

Simulation Hypothesis केवल एक वैज्ञानिक कल्पना नहीं है. इसकी अवधारणा दार्शन शास्त्र तक में है और आधुनिक तकनीक तक का प्रभाव इसमें दिखाई देता है। इस परिकल्पना के मुतिबक वह सभी वास्तविकता जिसमें पृथ्वी, ब्रह्माण्ड सब शामिल हैं, असल में एक आर्टिफीशियल सिम्यूलेशन है जो किसी उन्नत सभ्यता ने बनाया है।

देखिये बात सुनने में जरूर लगती होगी लेकिन यह धारणा कि मानव अस्तित्व एक सिम्यूलेशन हो सकता है. हाल में कई वैज्ञानिकों के मन में यह विचार पनपा है कि यह वैज्ञानिक तौर पर असंभव नहीं है. इस विचार को विस्तार से दार्शनिक निक बोस्ट्रॉम ने अपने शोधपत्र “Are you living in ,computer-generated simulation”में सबसे पहले दिया था।

ध्यान दीजिये इस लेख में दलील दी गई थी कि यदि उन्नत सभ्यता((advanced civilization) जटिल सिम्यूलेशन बना सकते हैं। जिसमें चेतना/मन में कल्पनाये वाली “चीजें” हो सकती हैं।

Occam’s Razor ने इस परिकल्पना को गंभीर दिशा देने का काम किया था। उन्होंने यहां तक कहा था कि आज का इंसान किसी पूर्वज के सिम्यूलेशन का हिस्सा हो सकता है। देखिये इस परिकल्पना को सही सिद्ध या खारिज नहीं किया जा सकता, पर यह बहस का विषय जरूर हो चुका है. इसने हमें विज्ञान, तकनीक और ब्रह्माण्ड की समझ पर गौर करने पर मजबूर किया है।

यह ध्यान रखना आवश्यक है कि Simulation Hypothesis वर्तमान में दार्शनिक और काल्पनिक चर्चा का विषय है, और इसे वैज्ञानिक समुदाय के भीतर सिद्ध या व्यापक रूप से स्वीकार नहीं किया गया है। वैज्ञानिक और शोधकर्ता भौतिकी, ब्रह्मांड विज्ञान और दर्शन सहित विभिन्न विषयों के माध्यम से वास्तविकता, चेतना और ब्रह्मांड के मूलभूत सिद्धांतों की खोज और बहस करना जारी रखते हैं।

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